Friday, March 17, 2017

जानते हैं भारत में रुपया कहाँ बनता है और कैसे नष्ट किया जाता है




रुपया शब्द का प्रयोग सबसे पहले शेर शाह सूरी ने भारत में अपने शासन (1540-1545)के दौरान किया था। भारत में नोटों को छापने का काम भारतीय रिज़र्व बैंक और सिक्कों को ढालने का काम भारत सरकार करती है। भारत में सबसे पहले वाटर मार्क वाला नोट 1861 में छपा था। वर्तमान में भारत समेत 8 देशों की मुद्राओं को रुपया कहा जाता है। हिंदी और अंग्रेजी के अलावा भारतीय नोट में 15 भाषाओँ का इस्तेमाल किया जाता है।

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रूपये का कागज तैयार करने के लिए दुनिया में 4 फार्म हैं।

1.📙फ्रांस की अर्जो विगिज

2. 📕अमेरिका का पोर्टल

3.📗 स्वीडन का गेन

4. 📘पेपर फैब्रिक्स ल्युसेंटल

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भारत में नोट कहाँ छपते हैं?

देश में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है।

📗नोट प्रेस के देवास (मध्य प्रदेश),

📘नासिक (महाराष्ट्र),

📙*सालबोनी (पश्चिम बंगाल)*

 📕मैसूर(कर्नाटक) में हैं।

देवास प्रेस में एक साल में 265 करोड़ नोट छपते हैं। यहाँ पर 20, 50, 100, 500, रूपए के नोट छपते हैं। देवास में ही नोटों में प्रयोग होने वाली स्याही का उत्पादन किया जाता है।

करेंसी प्रेस नोट नासिक: सन 1991 से यहाँ पर 💵1, 2, 5, 10, 50, 100 के नोट छापे जाते हैं। पहले यहाँ 50 और 100 रूपये के नोट ही छापे जाते थे।

मध्य प्रदेश के ही होशंगाबाद में सिक्योरिटी पेपर मिल है। नोट छपाई के पेपर होशंगाबाद और विदेश से आते हैं। 1000 के नोट मैसूर में छपते हैं।

भारत☣ में सिक्के कहाँ ढलते हैं?

भारत में चार जगहों पर सिक्के ढले जाते हैं।
🌸मुंबई,
🌸कोलकाता,
🌸हैदराबाद
 🌸नोएडा

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नोट किस चीज से बनाये जाते हैं?

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोट तैयार करने के लिए कॉटन से बने कागज और विशिष्ट तरह की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय करंसी नोट तैयार करने के लिए जिस कागज का इस्तेमाल होता है उसमें कुछ प्रोडक्शन महाराष्ट्र स्थित करंसी नोट प्रेस और अधिकांश प्रोडक्शन मध्य प्रदेश के होशंगाबाद पेपर मिल में ही होता है। कुछ पेपर आयात भी किया जाता है। नोट छापने के लिए जिस ऑफसेट स्याही का उपयोग किया जाता है उसका निर्माण मध्य प्रदेश के देवास स्थित बैंकनोट प्रेस में होता है। नोट पर जो उभरी हुई छपाई नजर आती है उसकी स्याही सिक्किम में स्थित स्वीस फर्म की यूनिट सिक्पा में बनाई जाती है।

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भारत में हर साल कितने नोट छापे जाते हैं?

रिजर्व बैंक के अनुसार, भारत में हर साल 2,000 करोड़ करेंसी नोट छापा जाता है। इसकी 40 प्रतिशत लागत कागज और स्याही के आयात में जाती है। यह कागज जर्मनी, जापान और ब्रिटेन जैसे देशों से आयात किया जाता है।

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यह कौन तय करता है कि कितने नोट और कितने मूल्य के नोट छापे जाने हैं?

यह भारतीय रिज़र्व बैंक तय करता है। छपने वाले नोटों की मात्रा पूरी अर्थव्यवस्था में नोटों के परिचालन, गंदे नोटों और आरक्षित आवश्यकताओं के आधार पर तय की जाती है।
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